रेलवे की तरफ से गांव बसियाला रेलवे क्रॉसिंग विवाद के चलते राहों-जेजों रेल लिंक पर ट्रेन को अस्थायी रूप से रोक दिया गया है। जिस वजह से राहों की शहर की करीब 20 हजार की अबादी के अलावा राहों के आसपास के करीब 30-35 गावों की करीब 50 हजार आबादी सीधे तो नवांशहर व गढ़शंकर तहसील की करीब डेढ़ लाख अन्य आबादी प्रभावित हो रही है। कुल मिलाकर इस रूट पर ट्रेन बंद होने की वजह से करीब-करीब दो-ढाई लाख की आबादी प्रभावित हो रही है, जिसका सीधा संपर्क रेलवे से टूट गया है।
इस सब के बीच क्षेत्रवासियों की ओर से ट्रेन को चलाने की मांग जोर पकड़ रही है। लोगों की मांग है कि विवाद है तो उसे सुलझाया जाए।...
more... जबकि जेजों जाने वाली ट्रेन पहले नवांशहर जाती है वहीं से लाइन चेंज होती है। ऐसे में राहों की ट्रेन को बंद करने का कोई औचित्य नहीं बनता। इसलिए लोगों की मांग है कि राहों स्टेशन तक की ट्रेन को चालू करवाया जाए।
जानिए...राहों का कैसे कम हुआ महत्व और रेलवे ने भी नहीं दी तवज्जोंएेतिहासिक शहर राहों को रेल लिंक के जरिए जालंधर व जेजों के साथ बीती सदी में अंग्रेजों ने जोड़ा था। तब राहों एक बड़ा लिफ्टिंग केंद्र हुआ करता था, जहां से दरिया पार से लाया गया कच्चा माल अमृतसर व लाहौर आदि के लिए जाता था। समय बदला तो राहों की बजाए नवांशहर एक बड़ा लिफ्टिंग केंद्र व मंडी बन गया। जिस वजह से राहों का महत्व कम हो गया, मगर जेजों जो जिला होशियारपुर का कस्बा था उसका महत्व बरकरार रहा। जेजों से हिमाचल के लिए राशन व अन्य सामान सप्लाई होता था, तब ट्रेन ही एकमात्र जरिया था जिसके जरिए माल की ढुलाई हुआ करती थी।
माल ढुलाई के लिए यह बड़े स्टेशन माने जाते थे। मगर बटवारे के बाद राहों व जेजों दोनों कसबे हाशिए पर आ गए, जिसके चलते रेलवे ने भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। जानकारी के अनुसार रेलवे की ओर से जालंधर-राहों-जेजों रेल लाईन को इलैक्ट्रीफाई करने की प्रपोजल के तहत क्षेत्र में कुछ रेल फाटकों व क्रासिंग को बंद किया जा रहा है।
इसी बीच विभाग द्वारा गांव बसियाला का रेल फाटक स्थाई रूप से बंद करने पर लोगों का विरोध शुरू हो गया। धरने लगे इसी बीच किसी द्वारा बंद फाटक को खुद ही खोल दिया गया। जिस वजह से विभाग ने इस रेल लिंक पर चलने वाली राहों-जेजों ट्रेन को अस्थाई रूप से रोक दिया है।