कोविड की वजह से इन दिनों जिले के लगभग सभी अस्पतालों में बेड फुल हैं। कहीं बेड नहीं मिल रहा है। वहीं सालभर से बीएमवाई के इंस्टीट्यूट और सांस्कृतिक भवन में सारी व्यवस्था के बाद भी इसे आइसोलेशन सेंटर नहीं बनाया जा सका है। रेलवे प्रशासन ने अप्रैल 2020 से यहां बेड रखा है। सेप्रेट टॉयलेट बनवाए गए हैं। हाथ धोने के लिए पैर से उपयोग होने वाले बेसिन और नल भी लगवाए हैं।
यह सारी व्यवस्था कोरोना के मरीजों को यहां रखने के लिए किया गया था, लेकिन सालभर से यह सब बेकार पड़ा हुआ है। इनका कोई उपयोग नहीं किया जा रहा। वहीं रेलवे अस्पताल में आने वाले मरीजों को या तो रायपुर रेफर किया जा रहा है या फिर...
more... निजी अस्पतालों में जाने की सलाह दी जा रही है। पिछले साल लॉकडाउन लगने के बाद रेलवे ने अपनी सीमा में इंस्टीट्यूट और सांस्कृतिक भवन को आइसोलेशन सेंटर बनाने का फैसला किया था। इस संबंध में डीआरएम से शिकायत की गई है। इस केंद्र का उपयोग करने से स्थानीय मरीजों को सुविधा मिलेगी।
महिला-पुरुषों के लिए तैयार कराए गए 50 बेडइसके लिए यहां करीब 50 बेड लगाए गए। कुछ बेड रायपुर के रेलवे अस्पताल से मंगाए गए और कुछ बेड एटीओ ऑफिस भिलाई-3 से लाए गए। इन्हें यहां बाकायदा जमाकर और नंबरिंग करके रखा गया है। इसमें महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग व्यवस्था है। इसमें वॉश बेसिन लगाए गए हैं। हाथ का उपयोग करने के बजाय एक लीवर लगाया गया है।
रोजाना 10 से 20 संदिग्ध जांच के लिए आ रहे हैंरेलवे अस्पताल में हर दिन इनडोर और आउटडोर पेशेंट के रूप में 50-60 मरीज आ रहे हैं। इनमें 10-20 मरीज कोरोना के संदिग्ध रहते हैं। उनकी प्रारंभिक जांच के बाद उन्हें स्थान देखकर एक या दो दिन के लिए रखा जा रहा है। इसके बाद मामले को बढ़ते हुए देखकर उन्हें रायपुर रेलवे अस्पताल भेज दिया जाता है। रायपुर में मरीजों का प्रेशर बढ़ने से बेड की भारी कमी है।
ऑक्सीजन बेड के रूप में अब हो सकता है उपयोगइंस्टीट्यूट और सांस्कृतिक भवन में जगह की कमी नहीं है। सुविधाओं का भी अभाव नहीं है। बस यहां ऑक्सीजन की पाइप लाइन की व्यवस्था करने के साथ यहां मरीजों के लिए आइसोलेशन सेंटर बनाया जा सकता है। कोविड के सेकंड स्ट्रेन के दौरान रेलवे के अधिकारियों की ओर से कोई पहल नहीं की गई है। इससे रेलवे के कोविड मरीजों को लाभ नहीं मिल पा रहा है।
आयुक्त ने किया है तीन बार निरीक्षणभिलाई-चरोदा नगर निगम के आयुक्त कीर्तिमान सिंह राठौर ने इन स्थानों का अभी तक तीन बार निरीक्षण किया है। साथ ही रेलवे के अधिकारियों से भी बातचीत की है। लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं हो पाया है। मंडल समन्वयक एसईसीआर मजदूर कांग्रेस के डी. विजय कुमार ने भी मामले की शिकायत पीएचई मंत्री व स्थानीय विधायक गुरु रुद्रकुमार से की है।
50 बोगियों को बनाया गया था आइसोलेशन वार्डबढ़ते कोविड-19 के संक्रमण को देखते हुए रेलवे ने 50 बोगियों को आइसोलेशन वार्ड में बदला है। इसे राज्य शासन की मांग के अनुसार रसमड़ा और दल्ली-राजहरा से भाटापारा तक के विभिन्न स्थानों पर उपलब्ध कराया जा सकेगा। सीनियर डीसीएम डॉ. विपिन वैष्णव ने बताया कि रायपुर मंडल में रसमड़ा से लेकर भाटापारा, मरोदा से लेकर दल्ली-राजहरा, रायपुर से लेकर टीटलागढ़ तक के स्थान आते हैं। इन स्थानों को देखते हुए पिछले साल ही कुछ बोगियों को आइसोलेशन वार्ड का रूप दिया गया था।
स्थान और बेड की कमी नहीं है, मूल समस्या स्टाफस्थान और बेड की कमी नहीं है। मूल समस्या स्टाफ की है। डॉक्टर और नर्स की कमी है। यदि स्थानीय प्रशासन से सहयोग मिल जाए तो इसे आइसोलेशन केंद्र बनाया जा सकता है। इसका उपयोग किया जा सकता है।-डॉ. विपिन वैष्णव, सीनियर डीसीएम रायपुर