जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। इंदौर और मनमाड के बीच आठ हजार करोड़ रुपये की लागत से 362 किलोमीटर लंबी नई रेलवे लाइन बिछाई जाएगी। इसके लिए मंगलवार को एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इसे छह वर्ष में पूरा किया जाएगा। इस लाइन के बनने के बाद इंदौर से मुंबई के अलावा दिल्ली से मुंबई, बंगलूर और चेन्नई की दूरी भी कम हो जाएगी। साथ ही मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के पिछड़े आदिवासी इलाकों का विकास होगा। अभी इंदौर से मुंबई जाने के लिए गुजरात होते हुए 815 किलोमीटर का लंबा सफर तय करना पड़ता है। इंदौर-मनमाड लाइन के बनने के बाद यह दूरी 171 किलोमीटर घट जाएगी। इस लाइन का महत्व इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि यह दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे के उन प्रमुख केंद्रों से होकर गुजरती है, जिनमें इगतपुरी, नासिक, सिन्नार, पुणे, खेड़ के अलावा धुले और नरदाना शामिल हैं। चूंकि यात्री यातायात के अलावा माल यातायात में भी इस लाइन...
more... का उपयोग होगा, लिहाजा इससे पहले दस सालों में ही 15 हजार करोड़ रुपये का समग्र शुद्ध आर्थिक लाभ प्राप्त होने की आशा है। इससे उत्तर प्रदेश के लखनऊ, कानपुर, आगरा जैसे व्यापारिक केंद्रों के मध्य प्रदेश के ग्वालियर, भोपाल और इंदौर तथा महाराष्ट्र के धुले और मुंबई जैसे व्यापारिक केंद्रों से सीधे जुड़ने से परिवहन लागत में कमी आएगी। इससे रोजगार सृजन के अलावा प्रदूषण और ईधन की खपत कम करने में भी मदद मिलेगी। भूमि अधिग्रहण बिना नई लाइन नहीं बिछाएगा रेलवे यह भी पढ़ें इस लाइन का निर्माण केंद्र व राज्य सरकारें मिलकर कर रही। लेकिन मुख्य प्रमोटर जहाजरानी मंत्रालय है जो इंडियन पोर्ट रेल कारपोरेशन लि. (आइपीआरसीएल) तथा जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएनपीटी) के मार्फत 55 फीसद पूंजी लगाएगा। जबकि रेल मंत्रालय तथा मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सरकारें 15-15 के हिसाब से प्रतिशत इक्विटी योगदान करेंगी। इसके लिए एक संयुक्त उद्यम कंपनी का गठन किया जाएगा। करेगा। समझौते पर खुशी जाहिर करते हुए जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि यह पहली रेलवे लाइन है जिसका जिम्मा जहाजरानी मंत्रालय ने लिया है। यह सिंगिल लाइन होगी, जिसे बाद में डबल किया जा सकेगा। इसके लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है। मुंबई: सोलापुर में मालगाड़ी के पांच डिब्बे पटरी से उतरे, 12 ट्रेनें डायवर्ट यह भी पढ़ें चार पुलों के निर्माण का टेंडर भी निकाला जा चुका है। इसके बनने पर दिल्ली से बंगलूर और चेन्नई की दूरी भी 200-250 किलोमीटर कम हो जाएगी। रेलमंत्री पीयूष गोयल, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान तथा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस की मौजूदगी में, उन्होंने कहा कि परियोजना की लागत 9000 करोड़ रुपये तक जा सकती है। By Bhupendra Singh
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। इंदौर और मनमाड के बीच आठ हजार करोड़ रुपये की लागत से 362 किलोमीटर लंबी नई रेलवे लाइन बिछाई जाएगी। इसके लिए मंगलवार को एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इसे छह वर्ष में पूरा किया जाएगा। इस लाइन के बनने के बाद इंदौर से मुंबई के अलावा दिल्ली से मुंबई, बंगलूर और चेन्नई की दूरी भी कम हो जाएगी। साथ ही मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के पिछड़े आदिवासी इलाकों का विकास होगा।
अभी इंदौर से मुंबई जाने के लिए गुजरात होते हुए 815 किलोमीटर का लंबा सफर तय करना पड़ता है। इंदौर-मनमाड लाइन के बनने के बाद यह दूरी 171 किलोमीटर घट जाएगी।
इस लाइन का महत्व इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि यह दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे के उन प्रमुख केंद्रों से होकर गुजरती है, जिनमें इगतपुरी, नासिक, सिन्नार, पुणे, खेड़ के अलावा धुले और नरदाना शामिल हैं। चूंकि यात्री यातायात के अलावा माल यातायात में भी इस लाइन का उपयोग होगा, लिहाजा इससे पहले दस सालों में ही 15 हजार करोड़ रुपये का समग्र शुद्ध आर्थिक लाभ प्राप्त होने की आशा है। इससे उत्तर प्रदेश के लखनऊ, कानपुर, आगरा जैसे व्यापारिक केंद्रों के मध्य प्रदेश के ग्वालियर, भोपाल और इंदौर तथा महाराष्ट्र के धुले और मुंबई जैसे व्यापारिक केंद्रों से सीधे जुड़ने से परिवहन लागत में कमी आएगी। इससे रोजगार सृजन के अलावा प्रदूषण और ईधन की खपत कम करने में भी मदद मिलेगी।
इस लाइन का निर्माण केंद्र व राज्य सरकारें मिलकर कर रही। लेकिन मुख्य प्रमोटर जहाजरानी मंत्रालय है जो इंडियन पोर्ट रेल कारपोरेशन लि. (आइपीआरसीएल) तथा जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएनपीटी) के मार्फत 55 फीसद पूंजी लगाएगा। जबकि रेल मंत्रालय तथा मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सरकारें 15-15 के हिसाब से प्रतिशत इक्विटी योगदान करेंगी। इसके लिए एक संयुक्त उद्यम कंपनी का गठन किया जाएगा। करेगा।
समझौते पर खुशी जाहिर करते हुए जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि यह पहली रेलवे लाइन है जिसका जिम्मा जहाजरानी मंत्रालय ने लिया है। यह सिंगिल लाइन होगी, जिसे बाद में डबल किया जा सकेगा। इसके लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है।
चार पुलों के निर्माण का टेंडर भी निकाला जा चुका है। इसके बनने पर दिल्ली से बंगलूर और चेन्नई की दूरी भी 200-250 किलोमीटर कम हो जाएगी। रेलमंत्री पीयूष गोयल, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान तथा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस की मौजूदगी में, उन्होंने कहा कि परियोजना की लागत 9000 करोड़ रुपये तक जा सकती है।