वर्तमान में यहां पर जमींदोज हो चुके ट्रैक की जमीन को ही वापस काम में लिया जा सकेगा। जहां पर करीब 25 किमी तक यह ट्रैक बिछाया जाएगा। वहीं नावां-कुचामन क्षेत्र में इस परियोजना का कार्य शुरू होने के बाद अब स्थानीय स्तर पर भी रोजगार के अवसर बढ़ सकेेंगे। वहीं श्रमिकों के यहां होने की स्थिति में स्थानीय बाजार को भी इसका लाभ होगा।
विनोद गौड़, दीपक शर्मा | कुचामन सिटी/नावां सिटी
अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी की तर्ज पर देश का पहला रेलवे टेस्ट ट्रैक नावां में बनेगा। रेलवे यहां 25 किमी...
more... लंबा अत्याधुनिक टेस्ट ट्रैक बिछाने जा रहा है। सांभर झील में से गुढ़ा से ठठाना मीठड़ी स्टेशन होकर गुजरने वाले इस टेस्ट ट्रैक पर हाई स्पीड और रेगुलर ट्रेनों का ट्रायल होगा। वहीं, लोकोमोटिव और कोच के अलावा इस ट्रैक को हाई एक्सल लोड वैगन के ट्रायल के लिए भी इस्तेमाल में लाया जाएगा। रेलवे की तकनीकी जरूरतों को पूरा करने वाले एकमात्र अनुसंधान संगठन रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) ने इसके लिए कवायद शुरू कर दी है। आरडीएसओ अपने डेडीकेडेट टेस्ट ट्रैक का निर्माण करने का निर्णय लिया है। इस ट्रैक का उपयोग करके कई नए परीक्षण और इसके रोलिंग स्टॉक और इसके घटकों, रेलवे रेलवे पुलों और भू-तकनीकी क्षेत्र से संबंधित नई तकनीकों का परीक्षण संभव होगा। साथ ही इससे रेलवे से संबंधित अनुसंधान परियोजनाओं को शुरू करने और आईआर नेटवर्क पर इन्फ्रास्ट्रक्चर की समस्याओंं का समाधान संभव होगा।
आरडीएसओ की कवायद, गुढ़ा-मीठड़ी के बीच स्थान का चयन, नावां में बढ़ेंगे रोजगार के अवसर
जमींदोज हो गया पुराना मीटरगेज ट्रैक
स्थानीय बाजार में भी बढ़ेगा कारोबार
एेसा ट्रैक अभी विदेशों में
अमेरिका, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, चीन आदि देशों में टेस्ट ट्रैक का इस्तेमाल किया जाता है जबकि भारत में अभी मौजूदा लाइनों पर ही टेस्ट करते हैं।
अभी 3 काम चल रहे, कंसल्टेंसी के लिए निविदा इसी माह
वर्तमान में इसके तहत मेजर ब्रिज व माइनर ब्रिज पीएससी स्लैब के प्रस्तावित टेस्ट ट्रैक से कनेक्शन के तहत 25 किमी के बीच 40.17 करोड़ का कार्य प्रगति पर है। वहीं 0 से 12 किमी और 12 से 25 किमी के बीच 2 अलग-अलग निविदाओं के तहत क्रमश: 36.91 करोड़ और 41.65 करोड़ की लागत से तटबंध और झाड़ियों की सफाई आदि शुरू कर दिए हैं। जबकि 8.68 करोड़ के कंसल्टेंसी के लिए निविदाएं इसी महीने खोली जानी हैं।आरडीएसओ ने कंसल्टेंसी में ट्रैक के लेआउट, लोड व 220 किमी प्रति घंटे की स्पीड के लिए तय मापदंडों से ट्रैक गुणवत्ता के परीक्षण की रिपोर्ट मांगी है।
फोटो : लक्ष्मण कुमावत
फायदा... मौजूदा पटरियों पर बाधित नहीं होगा यातायात
गुढ़ा से ठठाना-मीठड़ी का चयन क्यों?
इस परियोजना के लिए गुढ़ा-ठठाना-मीठड़ी को चुनने के पीछे बड़ा कारण यह है कि इस दूरी के बीच पुरानी मीटर गेजलाइन दबी है जिसका उपयोग किया जा सकेगा। इस दूरी में रेलवे की भूमि पहले से है इसलिए अधिग्रहण कार्यवाही की जरूरत नहीं होगी। वहीं टेस्ट ट्रैक के लिए प्रयोगशाला, आवास, वर्कशॉप आदि के लिए पर्याप्त भूमि भी उपलब्ध है।
वर्तमान में किसी भी नई ट्रेन या वैगन का ट्रायल रेलवे के चालू ट्रैक पर ही किया जाता है। ट्रायल के वक्त उस ट्रैक पर रेल परिवहन को रोक दिया जाता है। इससे रेल ट्रैफिक परिवर्तन व संचालन में देरी होती है।
बिजली केबल व पाइप लाइन हटवाने प्रशासन को लिखा पत्र मुख्य प्रशासनिक अधिकारी (निर्माण) उत्तर पश्चिम रेलवे जयपुर की ओर से उप मुख्य इंजीनियर द्वारा नावां एसडीएम को भेजे गए पत्र में इस टेस्ट ट्रैक के निर्माण का हवाला देते हुए रेलवे भूमि में नमक उत्पादकों द्वारा जगह-जगह पानी की पाइप लाइन और बिजली की केबलों को हटवाने के लिए सहयोग मांगा है ताकि रेलवे को आगामी समय में कार्य में कोई दिक्कत न हो।
2 स्टेशनों तक होगी ट्रॉयल
रेलवे सूत्रों के अनुसार ट्रायल के लिए ट्रेन गुढ़ा से रवाना होकर ठठाना होते हुए मीठड़ी तक जाएगी।
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किमी का मिलेगा सीधा ट्रैक
5
किमी कवर्ड ट्रैक
पहले यहां किया था तय : आरडीएसओ ने नावां से पहले लखनऊ, मुगलसराय, पुणे व रायपुर में भी टेस्ट ट्रैक का निर्माण प्रस्तावित किया था। फिलहाल इनके बारे में कोई हलचल नहीं है।
हां, सही है-सर्वे और डिजाइन का चल रहा है काम