चांपा व सारागांव के बीच 8 किलोमीटर तीसरी व चौथी रेल लाइन पर ट्रेन चलाने की मंजूरी रेलवे के चीफ सेफ्टी कमिश्नर ने दी है। निरीक्षण से लौटने के चौथे दिन बाद ही मंजूरी आदेश जारी कर दिया था। आदेश आते ही इंजीनियरिंग विभाग ने रेलपांत कमिशनिंग का काम तेजी से शुरू कर दिया है।
चांपा और सारागांव के बीच 8 किलोमीटर तीसरी और चौथी रेलवे लाइन का एसई जोन के कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी ने 20 दिसंबर को निरीक्षण किया था। चांपा और सारागांव के बीच तीसरी और चौथी रेलवे लाइन का काम साथ-साथ चलता रहा। दोनों काम पूरा हो चुका है। उस पर यात्री ट्रेन चलाने के लिए सीआरएस कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी का निरीक्षण और उनकी अनुमति आवश्यक...
more... होती है। निरीक्षण के लिए कोलकाता से सीआरएस ए सी राय आए थे। चांपा से उन्होंने सारागांव तक ट्राली में बैठकर नई रेलवे लाइन के निर्माण को बारीकी से देखा था। उनके साथ कंस्ट्रक्शन, इलेक्ट्रिकल, सिग्नलिंग सहित समस्त विभागीय अफसर मौजूद थे जिन विभागों के जिम्मे ये काम होते हैं। जगह-जगह उतरकर उन्होंने पाइंट चेक किया था। यहां से कोलकाता लौटने के चार दिन बाद 24 दिसंबर को कमिश्नर आफ रेलवे सेफ्टी ने चांपा व सारागांव के बीच 8 किलोमीटर तीसरी और चौथी रेलवे लाइन में ट्रेन चलाने की अनुमति दे दी है। अनुमति आते ही रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग ने 8 किलोमीटर में पटरियों को यार्ड लाइन से जोड़ने, ओएचई जोड़ने सहित अन्य तरह की कमिशनिंग का काम शुरू कर दिया है। इसमें एक सप्ताह का समय लगेगा। एक सप्ताह बाद यानि नए साल जनवरी के पहले सप्ताह में नई लाइन पर ट्रेनें दौड़ने लगेंगी।
अप एंड डाउन में रफ्तार की अलग-अलग अनुमति
चांपा से सारागांव के बीच 8 किलोमीटर लंबी तीसरी और चौथी रेलवे में ट्रेन चलाने की अनुमति सीआरएस ने ट्रेन की रफ्तार को कोड करते हुए दी है। इसमें अप लाइन में 90 किलोमीटर प्रति घंटा व डाउन लाइन में 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनें चलाई जाएंगी।
खोडरी-पेंड्रारोड के बीच सीआरएस निरीक्षण 2 जनवरी को
बिलासपुर-कटनी सेक्शन में खोडरी-सारबहरा और वहां से पेंड्रारोड तक 11.50 किलोमीटर लंबी दूसरी रेलवे लाइन का काम पूरा हो चुका है। एसई रेलवे कोलकाता से कमिश्नर आॅफ रेलवे सेफ्टी ए के राय 1 जनवरी को बिलासपुर पहुंचेंगे। 2 जनवरी को सुबह वे कटनी सेक्शन रवाना होंगे। वहां पर खोडरी से सारबहरा 8 किलोमीटर और वहां से पेंड्रारोड तक 3.50 किलोमीटर यानि कुल 11.50 किलोमीटर का निरीक्षण वे करेंगे। निरीक्षण के बाद जब उनकी मंजूरी मिलेगी उसके बाद कमिशनिंग का काम किया जाएगा।