जबलपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
रेलवे की जमीन पर सालों से जमे कब्जे हटाने में अब रेलवे को ही पसीना छूट रहा है। हालात यह है कि जबलपुर रेल मंडल की सीमा में तकरीबन 100 से बड़े अतिक्रमण हैं। इन्हें हटाने के प्रयास तो हुए, लेकिन सिर्फ फाइलों तक। जबलपुर रेलवे स्टेशन समेत मदनमहल, कछपुरा, हाऊबाग से लेकर ग्वारीघाट रेल लाइन और अधारताल से गुजरने वाली रेल लाइन के आसपास मकान, बाउंड्री बनाकर कब्जा कर लिया है। सबसे ज्यादा अतिक्रमण जबलपुर के हाऊबाग से ग्वारीघाट रेलवे स्टेशन की रेलवे लाइन के आस-पास हैं। यहां पर कई बिल्डर ने रेलवे की जमीन पर ही कब्जा जमा लिया है। रेलवे द्वारा इन्हें कई बार नोटिस भी दिया गया, लेकिन राजनेता और पैसा, दोनों के दम पर...
more... इन अतिक्रमण को जबलपुर रेल मंडल का इंजीनियरिंग विभाग नहीं हटा सका।
100 से ज्यादा नोटिस, नहीं बनी बात :
जबलपुर रेल मंडल की सीमा में जबलपुर, सतना, कटनी, नरसिंहपुर, पिपरिया, गाडरवारा, सागर, दमोह जैसे मुख्य स्टेशन और इसके आस-पास स्थित रेलवे की जमीन पर सबसे ज्यादा कब्जे हैं। इन्हें हटाने के लिए जबलपुर रेल मंडल का इंजीनियरिग विभाग ने अतिक्रमणकारियों को कई बार नोटिस दिया, लेकिन कभी राजनेता तो कभी स्थानीय प्रशासन के हस्तक्षेप के कारण इन्हें नहीं हटा सका। इंजीनियरिंग विभाग के मुताबिक उसने तकरीबन 100 से ज्यादा अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी किए हैं, लेकिन इन्हें हटाने के प्रयास नाकाफी रहे हैं।
जिम्मेदार ही मिले अतिक्रमणकारियों से
रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण होने की मुख्यतौर पर कई ऐसी बड़ी वजह हैं। इनमें मुख्य तौर पर जमीन की सही ढंग से देखरेख न होना है। दरअसल रेलवे जमीन की देख-रेख का जिम्मा रेल मंडल के इंजीनियरिंग विभाग के संपदा अधिकारी के पास होता है। जबलपुर मंडल में पांच संपदा अधिकारी हैं, जिन्हें क्षेत्र के हिसाब से जिम्मेदारी दी है, लेकिन इन अधिकारियों की अनदेखी और इंजीनियरिंग विभाग के निचले अधिकारियों की सह पर रेलवे की जमीन पर कब्जा हो जाता है। वहीं रेलवे विजलेंस भी इसे मामलों पर कार्रवाई करने से बचती है।
यहां सबसे ज्यादा कब्जे :
- जबलपुर मुख्य रेलवे स्टेशन से कछपुरा के बीच
- हाऊबाग रेलवे स्टेशन से ग्वारीघाट रेलवे ट्रैक
- सतना रेलवे स्टेशन के आस-पास की जमीन
- पिपरिया रेलवे स्टेशन की जमीन
- कटनी रेलवे स्टेशन के आस-पास की जमीन
दो तरह के अतिक्रमण :
रेलवे के मुताबिक उसकी जमीन पर दो तरह के अतिक्रमण होते हैं। इनमें एक हार्ड और दूसरा सॉफ्ट अतिक्रमण है। हार्ड अतिक्रमण में सबसे ज्यादा बिल्डर होते हैं, जो रेलवे की जमीन पर बिल्डिंग या अन्य निर्माण कार्य करते हैं। वहीं सॉफ्ट अतिक्रमण में झोपड़ी, दुकान या अन्य छोटे कच्चे निर्माण होते हैं। जबलपुर रेल मंडल में दोनों तरह के अतिक्रमण हैं।
यह आती है परेशानी :
- मदनमहल रेलवे स्टेशन के आस-पास आरपीएफ ने अतिक्रमण हटाए, लेकिन क्षेत्रीय नेताओं के दबाव में पीछे हटना पड़ा।
- हाऊबाग से ग्वारीघाट रेल लाइन पर बिल्डर ने कब्जे किए, नोटिस दिया, पर शासकीय रिकॉर्ड में छेड़छाड़ कर बच गए।
- जिला प्रशासन और राजनीतिक दबाव की वजह से अब तक मंडल के 100 से ज्यादा अतिक्रमण नहीं हट सके।
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रेलवे की जमीन पर जमे अतिक्रमण हटाने के लिए नोटिस समेत अन्य सभी कार्रवाई की जा रही हैं, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि जिला प्रशाासन और राजनीतिक दबाव न हो।
-संजय विश्वास, डीआरएम, जबलपुर रेल मंडल